श्री लम्बोदर स्तोत्रम् (क्रोधासुर कृतम्)
पूजा के दौरान get more info भगवान शिव को सफेद फूल और माता सती को लाल फूल अवश्य चढ़ाएं।
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यह व्रत विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्रदान करता है।
वहां पहुंच कर देवी सती को मान नहीं मिला और वहां उन्होंने भगवान शिव का अपमान होते देखा। इससे आहत होकर उन्होंने यज्ञ की अग्नि में आहुति दे दी।
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ऐसे में जब देवी सती को इस बात का पता चलता है कि उनके पिता दक्ष ने सभी को बुलाया लेकिन अपनी पुत्री को नहीं। तब सती से यह बात सहन न हो पाई। सती ने शिव से आज्ञा मांगी कि वे भी अपने पिता के यज्ञ में जाना चाहतीं हैं। शिव ने सती से कहा कि बिना बुलाए जाना उचित नहीं होगा, फिर चाहें वह उनके पिता का घर ही क्यों न हो। सती शिव की बात से सहमत नहीं होती हैं और जिद्द करके अपने पिता के यज्ञ में चली जाती हैं।
विश्वास है कि इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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व्रत करने वाले को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। इस दिन गंगा स्नान करें तो सबसे अच्छा होता है।
मान्यताओं के अनुसार, अनंतकाल में एक राजा दक्ष हुए थे जिनकी पुत्री सती ने उनकी इच्छा के विपरीत भोलेनाथ को अपने पति के रूप में चुना था। एक बार अपने घर में यज्ञ का आयोजन करवाया था। इसका निमंत्रण उन्होंने सभी देवी देवताओं को दिया लेकिन देवी सती और भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया था। जब देवी सती को इस यज्ञ का पता चला तो वह भी इस यज्ञ में शामिल होने के लिए भगवान शिव से आग्रह करने लगीं। भगवान शिव ने देवी सती को समझाया कि बिना बुलाए उन्हें यज्ञ में नहीं जाना चाहिए। लेकिन देवी सती ने भगवान शिव की बात ना मानी जिस पर भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी।
ஶ்ரீ க³ணேஶ மூலமந்த்ரபத³மாலா ஸ்தோத்ரம்
इस व्रत को करने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
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